सीनियर सिटीजन हेल्थ इंश्योरेंस पर GST राहत: क्या बुजुर्गों की देखभाल होगी और आसान?

दोस्त, सोचिए… आपके माता-पिता या दादा-दादी बीमार पड़ते हैं और इलाज का खर्च लाखों तक पहुँच जाता है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस मददगार साबित हो सकता है। लेकिन जब 50,000 रुपये की पॉलिसी पर 18% GST जुड़कर 59,000 रुपये हो जाए तो कई परिवार पीछे हट जाते हैं। क्या वाकई ज़रूरत के वक्त सिर्फ टैक्स की वजह से परिवार अपने बुजुर्गों को सुरक्षा से वंचित रखे? यही वजह है कि सरकार सीनियर हेल्थ इंश्योरेंस पर GST राहत देने पर विचार कर रही है। GST relief on senior citizen health insurance

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क्यों बढ़ रहा है इंश्योरेंस का बोझ

सीनियर सिटीजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम वैसे ही काफी महंगा होता है। उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों का खतरा बढ़ता है और इंश्योरेंस कंपनियाँ उसी हिसाब से प्रीमियम तय करती हैं। जब ऊपर से 18% GST जुड़ता है, तो एक औसत मिडिल क्लास परिवार के लिए ये बोझ असहनीय हो जाता है।

कई लोग पॉलिसी लेना ज़रूरी समझते हैं, लेकिन कीमत देखते ही सोचते हैं—”अभी टाल देते हैं।” और यही गलती उन्हें मुश्किल में डाल देती है जब अचानक मेडिकल इमरजेंसी सामने आ जाती है।

अगर GST घटे तो क्या बदलेगा?

मान लीजिए पॉलिसी 50,000 रुपये की है। आज उस पर GST लगकर यह 59,000 हो जाती है। अगर टैक्स हटा दिया जाए, तो परिवार इसे बोझ नहीं बल्कि निवेश मानेगा। यही फर्क तय कर सकता है कि कोई परिवार अपने बुजुर्गों के लिए इंश्योरेंस लेगा या नहीं।

कम GST का असर सिर्फ जेब पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि लोग बेहतर और अधिक कवरेज वाली पॉलिसी चुन पाएंगे। इसमें रेगुलर हेल्थ चेक-अप, प्रिवेंटिव केयर और टेली-कंसल्टेशन जैसी सेवाएँ भी शामिल हो सकती हैं।

छोटे शहरों तक पहुँचेगा फायदा

GST राहत का सबसे बड़ा असर टियर-2 और टियर-3 शहरों में दिखेगा। अभी तक वहाँ के परिवार सोचते हैं कि इंश्योरेंस सिर्फ बड़े शहर वालों के लिए है। लेकिन कीमत कम होने पर वे भी इसे अपनाएँगे।

इंश्योरेंस कंपनियाँ भी नए प्रोडक्ट लाने के लिए प्रोत्साहित होंगी—जैसे खास सीनियर-फ्रेंडली पैकेज और वेलनेस प्रोग्राम। विदेशों में बसे बच्चे भी अपने माता-पिता के लिए आसानी से पॉलिसी ले सकेंगे।

सिर्फ पैसों का सवाल नहीं, इज़्ज़त और सुरक्षा की बात

GST राहत से जो असली बदलाव आएगा, वह संख्याओं में नहीं मापा जा सकता। जब परिवार पॉलिसी लेने में हिचकेगा नहीं, तब बुजुर्गों को भी यह भरोसा होगा कि उनकी सेहत की ज़िम्मेदारी सिर्फ बच्चों पर नहीं टिकी है। यह उन्हें इज़्ज़त और आत्मनिर्भरता का एहसास देगा।

परिवारों को भी राहत मिलेगी कि मेडिकल इमरजेंसी आने पर उन्हें अपनी बचत या कर्ज़ का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। और अस्पतालों के लिए भी क्लेम प्रोसेस आसान होगा, जिससे इलाज तेज़ी से हो सकेगा।

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